कक्षा - छठी
पाठ - 3
ब्रह्मयज्ञ (सन्ध्या-उपासना)
प्रश्न - सन्ध्या का क्या अर्थ है संध्या किस समय की जाती है?
उत्तर - जिस क्रिया द्वारा परमेश्वर का भली-भांति ध्यान किया जा सके उसे संध्या कहते हैं। संध्या सुबह सूर्य उदय होने से पूर्व तथा रात्रि में सोने से पहले करनी चाहिए।
उत्तर - जिस क्रिया द्वारा परमेश्वर का भली-भांति ध्यान किया जा सके उसे संध्या कहते हैं। संध्या सुबह सूर्य उदय होने से पूर्व तथा रात्रि में सोने से पहले करनी चाहिए।
प्रश्न - सन्ध्या करते समय मन का भाव कैसा होना चाहिए?
उत्तर - संध्या करते समय मन, शांत, पवित्र,चिंतामुक्त व प्रसन्न होना चाहिए। इस समय मन में ईश्वर के प्रति भक्ति भाव और श्रद्धा रखनी चाहिए।
उत्तर - संध्या करते समय मन, शांत, पवित्र,चिंतामुक्त व प्रसन्न होना चाहिए। इस समय मन में ईश्वर के प्रति भक्ति भाव और श्रद्धा रखनी चाहिए।
प्रश्न - 'ओ३म् भूः ओ३म् भुवः ओ३म् स्वः ओ३म् मह ओ३म् जनः ओ३म् तप ओ३म् सत्यम्' इस मंत्र से संध्या में प्राणायाम किया जाता है अथवा जल ग्रहण?
उत्तर - इस मंत्र से प्राणायाम किया जाता है।
उत्तर - इस मंत्र से प्राणायाम किया जाता है।
प्रश्न - सन्ध्या में कुल कितने शीर्षक और कितने मंत्र है?
उत्तर - संध्या के कुल दस शीर्षक है और इसमें बीस मंत्र आते हैं।
उत्तर - संध्या के कुल दस शीर्षक है और इसमें बीस मंत्र आते हैं।
प्रश्न - मनसा परिक्रमा मंत्र कितने हैं? इन मंत्रों में जिन दिशाओं का नाम आया है उन दिशाओं के नाम लिखिए।
उत्तर - मनसा परिक्रमा मंत्र छह है। इन मंत्रों में पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, नीचे की दिशा तथा ऊपर की दिशा का नाम आया है।
उत्तर - मनसा परिक्रमा मंत्र छह है। इन मंत्रों में पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, नीचे की दिशा तथा ऊपर की दिशा का नाम आया है।
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