आर्य समाज के नियम
1 सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उन सब का आदि मूल परमेश्वर है।
2 वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यो परम धर्म है।
3 सत्य के ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।
4 सब काम धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य को विचार कर करना चाहिए।
5 सबसे प्रीतिपूर्वक, धर्मानुसार, यथायोग्य वर्तना चाहिए।
6 अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए।
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