Thursday, September 10, 2020

ईश्वर


ईश्वर

                    ईश्वर इस ब्रह्मांड का स्वामी है, हम सभी जीव उसके सेवक, भृत्यवत् हैं अतः परमात्मा की आज्ञा का पालन करना हमारा सर्वप्रथम कर्तव्य है। परमात्मा ने ही यह सृष्टि बनाई है, यही इसे धारण करता है तथा समय आने पर प्रलय करता है। सर्व व्यापक और सर्वज्ञ होने से यही हमारी समस्त कार्यों का प्रतिपल दृष्टि रखता है। वह पक्षपात रहित तथा न्यायकाारी है। अतः हम जब शुभ कर्म करते हैं तो तदनुरूप हमें सुख की प्राप्ति होती है और अशुभ कर्म करने पर दुःखों की प्राप्ति होती है। 

अतः दुःखों से बचाने का केवल एक ही उपाय है कि हम शुभ कर्म करें और अशुभ कर्मों से बचे। परमात्मा परम दयालु है।

 उसे जहाँँ हमारे लिए सूर्य, चंद्रमा, वायु, अग्नि, पृथ्वी, जल और औषधि, अन्न व नाना प्रकार के सुखकारक व जीव रक्षक पदार्थ प्रदत्त किये हैं, वही हम शुभ और अशुभ में विभेद कर सके इसके लिए हमारे प्रथम उत्पत्ति के साथ ही वेद का ज्ञान दिया है। अतः विधि आज्ञा ईश्वर की आज्ञा है। हम सभी को उसका पालन करना चाहिए। इसी की सहायता से शुभ और अशुभ निर्णय कर सकते हैं।

                    ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप है हमें लोक में नाना प्रकार के सुख मिलते हैं पर यह सब सुख क्षणिक है, कुछ समय पश्चात् फिर अनेक दुख हमें घेर लेते हैं। अतः शाश्वत सुख तो आनंद के अपार भंडार परमात्मा का सहचर्य ही है, जितना शीघ्र हम इस तथ्य को समझ लें उसी में हमारा कल्याण है।

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