Thursday, August 13, 2020

गायत्री मंत्र व उनका अर्थ।

ओ३म् भूः भुवः स्वाः। 

तत्सवितुर्वरेंयं भर्गो देवस्य धीमहि। 

धियो यो नः प्रचोदयात्।।

              अर्थ

ओ३म् - ईश्वर का निज नाम।

भूः - प्राणों का प्राण।

भुवः - सब दुःखों को मिटाने वाला।

स्वाः - सब सुखों को देने वाला।

तत् - उसको हम।

सवितु - सूर्यादि में प्रकाश भरने वाला, जगत् की उत्पत्ति करने वाला।

र्वरेण्यमं - अपनाने योग्य।

भर्गो - सब क्लेश ओ को भस्म करने वाला, पवित्र, शुद्ध स्वरूप।

देवस्य - कामना करने योग्य।

धीमही - धारण करने योग्य।

धियो - बुद्धि को।

यो - जो।

नः - हमें

प्रचोदयात् - सन्मार्ग पर ले चलो।

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