Sunday, July 12, 2020

कक्षा - सातवीं पाठ - 8

कक्षा - सातवीं

पाठ - 8
सत्संग का महत्त्व

प्रश्न 1- सत्संग का क्या अभिप्राय है?
उत्तर 1- सज्जनों के साथ संग अर्थात् मिलजुल करना, उनके पास बैठना, उनका उपदेश सुनना, उनकी बातें करना सत्संग कहलाता है।
प्रश्न 2- संग का व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर 2- संग का व्यक्ति के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है, क्योंकि व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण उसके संग के आधार पर ही होता है। उसकी संगति के गुण-दोष उसके गुण-दोष बन जाते हैं।
प्रश्न 3- जल की बूंद के उदाहरण द्वारा नीच, मध्य और उत्तम संगति का परिणाम प्रकट करें।
उत्तर 3- जल की बूंद के उदाहरण में निम्न कोटि में गर्म तवे पर गिरकर नष्ट हो जाती है, और मध्य कोटि में आ कर कमल पर पड़ी बूंद मोती जैसी लगती है और उत्तम कोटि में वही बूंद जब स्वाति नक्षत्र में समुंदर की सीपी पर गिरकर मोती बन जाती है।
प्रश्न 4- कबीर के अनुसार सत्संग का प्रभाव प्रकट करें।
उत्तर 4- सज्जन का संग गंध बेचने वाले के पास रहने के समान है। यदि गंधी अपना इत्र, फुलेल आदि कुछ भी न दे, तब भी जब तक वह पास रहता है, वातावरण सुगंधित बना रहता है और पास बैठने वाला सुगंध लेकर ही जाता है। साधुओं की संगति सच्चा बैकुंठवास है।
प्रश्न 5- गोस्वामी तुलसीदास जी सत्संग के बारे में क्या कहते हैं
उत्तर 5- स्वामी तुलसीदास जी कहते हैं -
            'बिन सत्संग विवेक न होई'
   अर्थात् सत्संग के बिना भले-बुरे की पहचान नहीं होती।

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