Friday, October 30, 2020

कक्षा - आठवीं पाठ - 12

कक्षा - आठवीं

पाठ - 12
वर्ण व्यवस्था का स्वरूप


प्रश्न 1 - चारों वर्णों में ब्राह्मण को समाज रूपी शरीर का मुख क्यों बताया गया है?
उत्तर 1 - ज्ञान पाने के लिए तपस्या और साधना करनी पड़ती है, इस प्रकार ब्राह्मण लोग तपस्वी और साधक होते हैं। हमारे शरीर में भी सबसे तपस्वी, साधक, निर्लोभ मुख ही है। सारे शरीर को कीमती वस्त्रों से, जुराब-जूतों से सजाकर रखते हैं किन्तु मुख वाला भाग नंगा रहता है। सर्दी-गर्मी, धूप-छांव ऐसे ही सहन करता है, पर यह भाग सबसे ऊपर है, सबसे अधिक इज्जत वाला है। ब्राह्मण को भी समाज में सबसे अधिक सम्मान दिया गया है।
प्रश्न 2 - सभी वर्णों के भरण-पोषण का दायित्व किस वर्ण का है, और इस वर्ण के लोग उस दायित्व का निर्वाह किस प्रकार करते हैं?
उत्तर 2 - सभी वर्णों के भरण पोषण का दायित्व वैश्य वर्ण का है। कृषि, व्यापार तथा कला कौशल के माध्यम से वैश्य समाज को संपन्न बनाने का संकल्प लेते हैं। यह व्रत लेते हैं कि समाज का कोई भी सदस्य भूखा, नंगा, आवासहीन नहीं रहेगा। सबको रोटी, कपड़ा और मकान देने का दायित्व वैश्य वर्ण का ही  है।
प्रश्न 3 - समाज की गति और स्थिति से क्या अभिप्राय है? इसको बनाए रखने में शूद्र वर्ण किस प्रकार से उप देता है?
उत्तर 3 - समाज की गति और स्थिति शुद्र पर निर्भर है। ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य इसके बिना चल ही नहीं सकते। शुद्र समाज के पैर हैं। पैरों की ही पूजा की जाती है। उन्नत समाज में शूद्रों की खुशहाली का ध्यान अधिक रखा जाता है।
प्रश्न 4 - क्षत्रिय की समाज मे क्या भूमिका है स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 4 - क्षत्रियों को समाज की बाहुओं का स्थान प्राप्त है। बाहु शरीर की रक्षा करते हैं। सिर से पांव तक शरीर में कोई स्थान ऐसा नहीं जहां रक्षार्थ हमारी बाहुएँ नहीं पहुंचती। सिर पर पड़ने वाले पत्थर को हाथ ही रोकते हैं और पैर में लगे कांटे को भी वे ही निकालते हैं। शरीर पर पड़ने वाली लाठियों की चोट को भी वे तब तक रुकते हैं जब तक स्वयं टूट नहीं जाते। इस प्रकार समाज में शक्तिसंपन्न ऐसे लोग जो अपनी शक्ति का प्रयोग स्वार्थ के लिए न करके पूरे समाज के हित में करते हैं, वे क्षत्रिय है। समाज के शासन का अधिकार क्षत्रियों को समाज की सुरक्षा तथा न्याय के विचार से ही दिया गया था। सच्चे  क्षत्रियों द्वारा ही भूमि पर सुरक्षा तथा न्याय की व्यवस्था बनी रह सकती है।
प्रश्न 5 - वर्ण व्यवस्था का आधुनिक स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 5 - आधुनिक भाषा में इसका नामकरण इस प्रकार किया गया है -
1 शिक्षक
2 रक्षक
3 पोषक
4 सेवक
कर्मचारियों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ श्रेणी, वर्ण व्यवस्था का ही आधुनिक रूप है। ये श्रेणियाँँ जन्म के आधार पर नहीं, गुण, कर्म, स्वभाव अर्थात् मेरिट के आधार पर बनती है। इसी प्रकार वर्ण व्यवस्था भी मेरिट के आधारित थी। 

No comments:

Post a Comment