Monday, November 2, 2020

कक्षा - आठवीं पाठ - 13

कक्षा - आठवीं

पाठ - 13
आश्रम व्यवस्था


प्रश्न 1 - आश्रम व्यवस्था क्यों आवश्यक है?
उत्तर 1 - हमारा समाज मनुष्य से मिलकर बना है। अगर हम समाज को उन्नति एवं सुव्यवस्थित देखना चाहते हैं तो इसे बनाने वाले मनुष्यों का जीवन भी उन्नत एवं सुव्यवस्थित होना चाहिए। इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर प्राचीन काल में ऋषि, मुनियों ने मनुष्य जीवन को चार बराबर भागों में बांटा था। इन चारों भागों को आश्रम कहा जाता था तथा इस व्यवस्था को आश्रम व्यवस्था।
प्रश्न 2 - चारों आश्रमों के नाम लिखकर उनकी आयु सीमा भी बताएं।
उत्तर 2 - चारो आश्रम निम्नलिखित है -
1 ब्रह्मचर्य आश्रम - जन्म से पच्चीस (25) वर्ष तक।
2 गृहस्थ आश्रम - पच्चीस (25) से पच्चास (50) वर्ष तक।
3 वानप्रस्थ आश्रम - पच्चास (50) से पचहत्तर (75) वर्ष तक।
4  संयास आश्रम - पचहत्तर (75) से मृत्युपर्यन्त तक। 
प्रश्न 3 - ब्रह्मचर्य आश्रम क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर 3 - ब्रह्मचर्य आश्रम जीवन रूपी भवन की नींव के समान है। इस काल में विद्यार्थी जो भी सीखता है, वह जीवन भर उसके काम आता है। इसीलिए यह आश्रम बहुत ही महत्वपूर्ण है। जन्म से पच्चीस (25) वर्ष तक की आयु को ब्रह्मचर्य की अवस्था माना जाता है। यह आश्रम अर्थात् जीवन का यह समय ज्ञान-प्राप्ति और जीवन की तैयारी के लिए है। बचपन में मनुष्य के प्रथम गुरु उसके माता-पिता हैं। बच्चा अपने माता-पिता से कई तरह का ज्ञान प्राप्त करता है। आठ-दस वर्ष की आयु में बच्चे की शिक्षा के लिए गुरुकुल भेजा जाता था। बच्चे युवावस्था तक गुरु के पास रहकर विद्याध्ययन करते थे। 
प्रश्न 4 - गृहस्थाश्रम को सबसे ऊँँचा और श्रेष्ठ क्यों माना जाता है?
उत्तर 4 - गृहस्थाश्रम को सभी आश्रमों से ऊंचा और श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि बाकी तीनों आश्रमों के मनुष्यों के लिए भोजन, वस्त्र तथा अन्य आवश्यकताओं की व्यवस्था गृहस्थी ही करते हैं। गृहस्थी अपनी संतान का पालन पोषण तो करते ही हैं, वे देश, धर्म और समाज की सेवा भी करते हैं। देश की रक्षा सब वस्तुओं का उत्पादन, वितरण आदि न्याय और शासन-व्यवस्था समाज के सुख समृद्धि की व्यवस्था सब गृहस्थी ही करते हैं।
प्रश्न 5 - एक वानप्रस्थी के क्या कर्तव्य है?
उत्तर 5 - वानप्रस्थियों को धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करते रहना चाहिए तथा विद्या-धन को दूसरों में बैठना चाहिए अर्थात् विद्यार्थियों को पढ़ाना चाहिए, यज्ञ आदि करके प्रभु की उपासना करनी चाहिए तथा योगाभ्यास करना चाहिए।
प्रश्न 6 - संन्यास आश्रम का क्या महत्व है?
उत्तर 6 - संन्यास आश्रम बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इस आश्रम की सहायता के बिना विद्या और धर्म की वृद्धि कभी नहीं हो सकती। सत्य का उपदेश करना तथा वेदादी सत्यशास्त्रों का विचार और प्रचार करना ही एक संन्यासी का परम कर्तव्य है।

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