Friday, November 27, 2020

कक्षा - आठवीं पाठ - 17

कक्षा - आठवीं

पाठ - 17
डी.ए.वी. संस्थाएँ

प्रश्न 1 -डी.ए.वी. संस्था की स्थापना के पीछे क्या भावना थी? वह भावना क्यों पैदा हुई?
उत्तर 1 - 30 अक्टूबर 1883 में स्वामी दयानंद के देहांत के बाद उनके आदर्शों को बनाए रखने के लिए विचार रखा गया, "स्वामी जी ने जीवन भर स्वदेश, मानव जाति और वैदिक धर्म की सेवा की है इसीलिए हमें उनके ऋणी हैंं। इस ऋण को चुकाने के लिए उनके नाम से एक स्मारक स्थापित किया जाए।" अतः इस उद्देश्य को सामने रखकर लाहौर में 1885 में दयानंद एंग्लो वैदिक (डी.ए.वी.) कॉलेज ट्रस्ट एवं मैनेजमेंट सोसायटी की स्थापना की गई। डी.ए.वी. ने वैदिक लौकिक संस्कृति, भारतीय संस्कृति की शिक्षा, प्राच्य और पाश्चात्य शिक्षा छात्रों को देकर भारतीय संस्कृति को बढ़ाया।
प्रश्न 2 - डी.ए.वी. शिक्षण संस्था की स्थापना के समय आर्य नेताओं की दृष्टि किन तीन बातों की ओर प्रारंभ से ही रही? इसकी पूर्ति कैसे हुई?
उत्तर 2 -डी.ए.वी. संस्था के संस्थापक आर्य नेताओं ने शिक्षण संस्थाओं को चलाने के लिए तीन बातों की ओर विशेष ध्यान दिया :
आत्मनिर्भरता
स्वार्थ त्याग
मितव्ययता (कम खर्च करने करके ऊँचे लक्ष्य की प्राप्ति)
आत्मनिर्भर : वर्तमान में डी.ए.वी. कॉलेज ट्रस्ट एवं मैनेजमेंट कमेटी देश की सबसे बड़ी गैर-सरकारी स्वावलम्बी शिक्षण संस्था है। अतः यह संस्था पूर्णतया निर्भर आत्मनिर्भर है।
स्वार्थ त्याग : डी.ए.वी. संस्था में जुड़े लोगों ने त्याग भावना कूट-कूट कर भरी है। स्वार्थ त्याग इस संस्था का आदर्श रहा है।आर्य जनों ने आजीवन सदस्य बनकर मात्र ₹75 मासिक या अवैतनिक कार्य करके इस संस्था की सेवा की।
मितव्ययता : मितव्ययता की दृष्टि से डी.ए.वी. संस्थाएँँ आदर्श मानी जाती है। जनता द्वारा श्रद्धापूर्वक दिए गए दान से आज भी बिना किसी फालतू खर्च के ये संस्थाएँँ अपने उद्देश्यों को पूर्ण करने में सक्षम है।
प्रश्न 3 - डी.ए.वी. संस्था में किन-किन महानुभावों का विशेष हाथ रहा।
उत्तर 3 - डी.ए.वी. संस्था में वख्शी रामरत्न, प्रि. मेहरचंद्र महाजन, पंडित राजाराम व त्यागशील महानुभावों के शिरोमणि महात्मा हंसराज का योगदान दिया।
प्रश्न 4 - शिक्षा जीवन में कैसे उपयोगी (महत्वपूर्ण) है?
उत्तर 4 - शिक्षा समाज का आईना है। शिक्षा जन-जागृति और समाज सेवा का संदेश देती है। हमारे जीवन मूल्यों की रक्षा करती है। देश की नैतिक, चारित्रिक, संस्कृतिक डोर को भी शक्ति से थामे रखती है। व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
प्रश्न 5 - 'डी.ए.वी. संस्था भारतीय संस्कृति के प्रति जागरुक है।' स्पष्ट करें।
उत्तर 5 - वैदिक एवं आधुनिक शिक्षा का संगम डी.ए.वी. शिक्षण संस्थान प्रत्येक विद्यालय में धर्म शिक्षक की नियुक्ति करता है और यज्ञशाला का निर्माण करने की प्रेरणा देता है। ताकि भारतीय संस्कृति की जड़ें पक्की रहेंं। आज देश की सबसे बड़ी गैर-सरकारी संस्था होने पर भी यह संस्था व्यापक रूप से शिक्षा के क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों की पूर्ण जानकारी रखती है। यही कारण है कि आज की भौतिकवादी युग में जहां युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने के लिए लालायित रहती है, वहां डी.ए.वी. संस्थाएं भारतीय संस्कृति का ध्वज ऊंचा रखने का प्रयास करती है।
प्रश्न 6 - आर्यजनों का डी.ए.वी. संस्था की स्थापना के पीछे क्या उद्देश्य था?
उत्तर 6 - आर्यजनों द्वारा डी।ए.वी. संस्था के लिए जो उद्देश्य रखे गए वह यह थे :
1 हिंदी भाषा तथा उसके पढ़ने का प्रबंध।
2  वैदिक संस्कृति और संस्कृत भाषा के पढ़ाने की व्यवस्था।
3 अंग्रेजी भाषा एवं विज्ञान की शिक्षा का पूर्ण प्रबंध।
4 शिल्प शिक्षा द्वारा व्यवसाय की शिक्षा।

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